Tuesday, June 24, 2008

साँची कहे तोरे आवन से हमरे

साँची कहे तोरे आवन से हमरे
अंगना में आयी बहार भौजी
लक्ष्मी की सूरत, ममता की मूरत
लाखों में एक हमार भौजी
साँची कहे तोरे आवन से हमरे
अंगना में आयी बहार भोजी...

तुलसी की सेवा, चनरमा की पूजा
कजरी चेता अंगनवा में गूंजा
अब हमने जाना का फगुवा दिवाली
होते हैं कितने त्यौहार भोजी
साँची कहे तोरे आवन से हमरे
अंगना में आयी बहार भौजी ...

यह घर था भुतन का डेरा
जब से भाया तुम्हारा पग फेरा
दुनिया बदल गयी हालत संभल गयी
अन्न - धन के लागे भंडार भौजी
साँची कहे तोरे आवन से हमरे
अंगना में आयी बहार भौजी ...

बचपन से हम काका कह - कह के हारे
कोई हमे भी तो काका पुकारे
देदे भतीजा फुलवा सरीखा
मानेंगे हम उपकार भौजी
हे भोजी
साँची कहे तोरे आवन से हमरे
अंगना में आयी बहार भोजी

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